Tuesday, April 15, 2014

‘टॉफी मॉडल’

  गुजरात मॉडल नहीं टॉफी मॉडल



गुजरात मॉडल के बारे में मैं आपको बताना चाहती हूं। में राहुलजी की बात से सहमत हु इस मॉडल को फेकुजी ने वीक्ष्य हें गुजरात राज्य में सिर्फ एक ही उद्योगपति को फायदा हुआ है जबकि गरीबों व किसानों के हितों को नजरअंदाज किया गया है। औरंगाबाद के आकार की भूमि़ 45000 एक़ड महज 300 करोड रूपये में दे दी गई। यह टॉफी मॉडल है, गुजरात मॉडल नहीं। एक रूपये में आपको यहां टॉफी मिलती है। उनकी जमीन को एक रूपये प्रति मीटर के दाम पर बेच दिया गया। यह गरीबों और किसानों की जमीन थी।

अदानी को 1 रूपये प्रति मीटर में जमीन
वह बार बार अपनी रेलियो में कहते हें में ने विकास किया हे! और फेकू अपने आपको विकास पुरुष कहेता हे। गुजरात का इतना विकास किया गया है की गुजरात में अदानी को 1 रूपये प्रति मीटर में जमीन दी जाती है। इतने पैसे में आप लोग टॉफी खरीदते हैं। ये टॉफी मॉडल है टाटा को 20 साल के लिए 1 प्रतिशत पर ब्याज दिया जाता है जबकि किसानों को 12 प्रतिशत पर ब्याज दिया जाता है।

गुजरात के अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के लिए इसके बड़े आधार को वजह बताते हैं। वित्त वर्ष 2013 में बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्यों मसलन महाराष्ट्र, तमिलनाडु,उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के बाद गुजरात पांचवें स्थान पर था। फेकुजी गुजरात मॉडल को नं-1 बता रहे है पर हकीकत को कुछ और ही है। उसने गुजरात मॉडल को दहशत का मॉडल बना दिया है। नरेंद्र मोदी के पक्ष में सतही प्रचार करने की जगह इस पहेली को सुलझाना दरअसल दिमाग के लिए कहीं ज़्यादा उपयोगी साबित होगा।

विकास के गुजरात मॉडल की बात करने से काम नहीं चलेगा। लोगों को दर्द समझना होगा। जिसे वे नहीं समझते, न समझना चाहते हैं। और न समझेंगे... वे केवल फेकने में ही अपना विकास समजते हें !

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